Thursday, 24 November 2011


बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
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सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी,
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी,
बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी।

वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार,
नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवार।

महाराष्टर-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में,
ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में,
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में,

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई, हाय! विधि को भी नहीं दया आई।

निसंतान मरे राजाजी रानी शोक-समानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हरषाया,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया,
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया,
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झाँसी आया।

अश्रुपूर्णा रानी ने देखा झाँसी हुई बिरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट शासकों की माया,
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया,
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया,
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया।

*रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।

छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजौर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात।

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
ग्रन्थ 'रामावतारचरित' के युद्धकांड प्रकरण में उपलब्ध एक अत्यंत अद्भुत और विरल प्रसंग 'मक्केश्वर लिंग' से संबंधित हैं, जो प्राय: अन्य रामायणों में नहीं मिलता है। वह प्रसंग जितना दिलचस्प है, उतना ही गुदगुदानेवाला भी। शिव रावण द्वारा याचना करने पर उसे युद्ध में विजयी होने के लिए एक लिंग (मक्केश्वर महादेव) दे देते हैं और कहते हैं कि जा, यह तेरी रक्षा करेगा, मगर ले जाते समय इसे मार्ग में कहीं पर भी धरती पर नहीं रखना।
लिंग को अपने हाथों में आदरपूर्वक थामकर रावण आकाशमार्ग द्वारा लंका की ओर प्रयाण करते हैं। रास्ते में उन्हें लघुशंका की आवश्यकता होती है। वे आकाश से नीचे उतरते हैं तथा इस असमंजस में पड़ते हैं कि लिंग को कहाँ रखें? तभी ब्राह्मण वेश में नारद मुनि वहाँ पर प्रगट होते हैं, जो रावण की दुविधा भाँप जाते हैं। रावण लिंग उनके हाथों में यह कहकर पकड़ाकर जाते हैं कि वे अभी निवृत्त हो कर आ रहे हैं। रावण लघु-शंका से निवृत्त हो ही नहीं पाता! संभवत: वह प्रभु की लीला थी। काफ़ी देर तक प्रतीक्षा करने के उपरांत नारद जी लिंग धरती पर रखकर चले जाते हैं। तब रावण के खूब प्रयत्न करने पर भी लिंग उस स्थान से हिलता नहीं है और इस प्रकार शिव द्वारा प्रदत्त लिंग की शक्ति का उपयोग करने से रावण वंचित हो जाता है।(पृ.-295-297)

यह स्थान वर्तमान में सऊदी अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है सऊदी अरब के पास ही यमन नामक राज्य भी है इसका उल्लेख श्रीमद्भागवत में मिलता है श्री कृष्ण ने कालयवन नामक राक्षस के विनाश किया था यह यमन राज्य उसी द्वीप पर स्थित है

भगवान शिव के जितने रूप और उपासना के जितने विधान संसार भर में प्रचलित रहे हैं, वे अवर्णनीय हैं। हमारे देश में ही नहीं, भगवान शिव की प्रतिष्ठा पूरे संसार में ही फैली हुई है। उनके विविध रूपों को पूजने का सदा से ही प्रचलन रहा है। शिव के मंदिर अफगानिस्तान के हेमकुट पर्वत से लेकर मिस्र, ब्राजील, तुर्किस्तान के बेबीलोन, स्कॉटलैंड के ग्लासगो, अमेरिका, चीन, जापान, कम्बोडिया, जावा, सुमात्रा तक हर जगह पाए गए हैं। अरब में मुहम्मद पैगम्बर से पूर्व शिवलिंग को 'लात' कहा जाता था। मक्का के कावा में संग अवसाद के यप में जिस काले पत्थर की उपासना की जाती रही है, भविष्य पुराण में उसका उल्लेख मक्केश्वर के रूप में हुआ है। इस्लाम के प्रसार से पहले इजराइल और अन्य यहूदियों द्वारा इसकी पूजा किए जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। ऐसे प्रमाण भी मिले हैं कि हिरोपोलिस में वीनस मंदिर के सामने दो सौ फीट ऊंचा प्रस्तर लिंग था। यूरोपियन फणिश और इबरानी जाति के पूर्वज बालेश्वर लिंड के पूजक थे। बाईबिल में इसका शिउन के रूप में उल्लेख हुआ है।

कई वर्ष बीत गए है मक्केश्वर महादेव की पूजा बिल्वपत्र व गंगा जल से नही हुई है जय जय शिव शम्भो महादेव शम्भो| सभी एक स्वर में बोलिए मक्केश्वर महादेव की जय



मोहित गंगवार...

Tuesday, 22 November 2011

कबीर के दोहे | Kabir Ke Dohe | Hindi Dohe

चाह मिटी, चिंता मिटी मनवा बेपरवाह ।
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥

माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय ।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।
कर का मन का डार दे, मन का मनका फेर ॥

तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय ।
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥

गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय ।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय ॥

सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख में करते याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥

कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥

दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥

बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥

साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै थोथा देई उडाय॥

साँई इतना दीजिए जामें कुटुंब समाय ।
मैं भी भूखा ना रहूँ साधु न भुखा जाय॥

जो तोको काँटा बुवै ताहि बोव तू फूल।
तोहि फूल को फूल है वाको है तिरसुल॥

उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥

सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ।
धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाइ॥

साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय।
आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥
केवल सौ दिन को सिंहासन मेरे हाथों में दे दो,

काला धन वापस न आये तो मुझको फाँसी दे दो ||

जब कोयल की डोली गिद्धों के घर में आ जाती है,
...
तो बगला भगतो की टोली हंसों को खा जाती है ||

जब-जब जय चंदो का अभिनन्दन होने लगता है,

तब-तब सापों के बंधन में चन्दन रोने लगता है ||

जब फूलों को तितली भी हत्यारी लगने लगती है,

तो माँ की अर्थी बेटों को भारी लगने लगती है ||

जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते है,

तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते है ||

सिंहो को म्याऊँ कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है,

बिल्ली में क्या ताकत होती कायरता दिल्ली में है ||

कहते है कि सच बोलो तो प्राण गवाने पड़ते है,

मैं भी सच्चाई को गाकर शीश कटाने आया हूँ,

घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||

कोई साधू सन्यासी पर तलवारे लटकाता है,

काले धन की केवल चर्चा पर भी आँख चढ़ाता है ||

कोई हिमालय ताजमहल का सौदा करने लगता है,

कोई यमुना गंगा अपने घर में भरने लगता है ||

कोई तिरंगे झंडे को फाड़े फूके आज़ादी है,

कोई गाँधी को भी गाली देने का अपराधी है ||
 
 
मोहित गंगवार... 
जिस देश में बचपन भूखा है
जहाँ रोज जवानी बिकती है
जहाँ भीख बुढ़ापा मांगे है
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

जहाँ भाषा की तकरारें हैं
जहाँ मज़हब की दीवारें हैं
जहाँ खुले फिरें हत्यारे हैं,
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

मैं हिंदू हूँ, मैं मुस्लिम हूँ
मैं सिख औ' ईसाई हूँ
जहाँ इक भी बचा इनसान नहीं
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

मैं पंजाबी, मैं गुजराती
बंगाली और मराठी हूँ
जहाँ इक भी नहीं है भारती
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

जहाँ गुंडा राज चलाता है
दिन आये हमें डराता है
कर अधम-कर्म इतराता है
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

यहाँ जोड़-तोड़ के नेता हैं
दुनिया भर के अभिनेता हैं
कुछ क्रेता, कुछ विक्रेता हैं
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

जहाँ राष्ट्रवाद का घाटा है
जहाँ नेता कद का नाटा है
हिंदी को मारे चाँटा है
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?
 
 
मोहित गंगवार... 
अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार

बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर
जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर
खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू
पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू
गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन-दूना
प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना



भ्रष्टाचार

राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर
‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर
पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला
खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला
कहँ ‘काका' कवि, करके बंद धरम का काँटा
लाला बोले - भागो, खत्म हो गया आटा



घूस माहात्म्य

कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार
ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार
बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी
माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी
कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा
जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा.
 
मोहित गंगवार... 
यमराज का इस्तीफा -अमित कुमार सिंह
एक दिन
यमदेव ने दे दिया
अपना इस्तीफा।
मच गया हाहाकार
बिगड़ गया सब
संतुलन,
करने के लिए
स्थिति का आकलन,
इन्द्र देव ने देवताओं
की आपात सभा
बुलाई
और फिर यमराज
को कॉल लगाई।

'डायल किया गया
नंबर कृपया जाँच लें'
कि आवाज तब सुनाई।

नये-नये ऑफ़र
देखकर नम्बर बदलने की
यमराज की इस आदत पर
इन्द्रदेव को खुन्दक आई,

पर मामले की नाजुकता
को देखकर,
मन की बात उन्होने
मन में ही दबाई।
किसी तरह यमराज
का नया नंबर मिला,
फिर से फोन

लगाया गया तो
'तुझसे है मेरा नाता
पुराना कोई' का
मोबाईल ने
कॉलर टयून सुनाया।

सुन-सुन कर ये
सब बोर हो गये
ऐसा लगा शायद
यमराज जी सो गये।

तहकीकात करने पर
पता लगा,
यमदेव पृथ्वीलोक
में रोमिंग पे हैं,
शायद इसलिए,
नहीं दे रहे हैं
हमारी कॉल पे ध्यान,
क्योंकि बिल भरने
में निकल जाती है
उनकी भी जान।

अन्त में किसी
तरह यमराज
हुये इन्द्र के दरबार
में पेश,
इन्द्रदेव ने तब
पूछा-यम
क्या है ये
इस्तीफे का केस?

यमराज जी तब
मुँह खोले
और बोले-

हे इंद्रदेव।
'मल्टीप्लैक्स' में
जब भी जाता हूँ,
'भैंसे' की पार्किंग
न होने की वजह से
बिन फिल्म देखे,
ही लौट के आता हूँ।

'बरिस्ता' और 'मैकडोन्लड'
वाले तो देखते ही देखते
इज्जत उतार
देते हैं और
सबके सामने ही
ढ़ाबे में जाकर
खाने-की सलाह
दे देते हैं।

मौत के अपने
काम पर जब
पृथ्वीलोक जाता हूँ
'भैंसे' पर मुझे
देखकर पृथ्वीवासी
भी हँसते हैं
और कार न होने
के ताने कसते हैं।

भैंसे पर बैठे-बैठे
झटके बड़े रहे हैं
वायुमार्ग में भी
अब ट्रैफिक बढ़ रहे हैं।
रफ्तार की इस दुनिया
का मैं भैंसे से
कैसे करूँगा पीछा।
आप कुछ समझ रहे हो
या कुछ और दूँ शिक्षा।

और तो और, देखो
रम्भा के पास है
'टोयटा'
और उर्वशी को है
आपने 'एसेन्ट' दिया,
फिर मेरे साथ
ये अन्याय क्यों किया?

हे इन्द्रदेव।
मेरे इस दु:ख को
समझो और
चार पहिए की
जगह
चार पैरों वाला
दिया है कह
कर अब मुझे न
बहलाओ,
और जल्दी से
'मर्सिडीज़' मुझे
दिलाओ।
वरना मेरा
इस्तीफा
अपने साथ
ही लेकर जाओ।
और मौत का
ये काम
अब किसी और से
करवाओ।
 
 
मोहित गंगवार... 

Saturday, 19 November 2011

क्या आप जानते हैं कि मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक "विषैले नाग" से की है ..??

इसमे कोई दो राय नहीं है और सब जानते हैं कि यह "इस्लामी जहरीला नाग" कितने देशों को डस चुका है , और भारत की तरफ भी अपना "फन फैलाकर फुफकार" रहा है ..लेकिन ये मनहूस सेक्युलर जीव लोग (पिग्विजय और प्रियांजली शर्मा सरीखे लोग ) इतने बेवकूफ हैं कि ये सेक्युलरता के नामपर, और झूठे भाईचारे के बहाने इस "इस्लामी नाग को दूध... पिला रहे हैं" .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है ... जबकि आज जरुरत इस बात की है कि, हम सब मिल कर उस "नाग के फन को कुचल दें" और मुहम्मद की इस ""भविष्यवाणी को सच्चा साबित कर दें"" ,जो उसने इन हदीसों में की थीं ::-

"अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है........ 'बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 .

"अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समय आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से नीचे नहीं उतरेगी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा "..........बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों (मक्का और मदीना )के बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है "........................सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 .

"इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है "..................सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 .

अब मैं भी देखता हूँ कि मुसलमान और तथाकथित सेक्युलर इन हदीसों को झूठा कैसे साबित करते है ......?????

जय महाकाल.....!!
 
 मोहित गंगवार...

Thursday, 17 November 2011

रिश्ते

बदल रहे हैं रस्ते सबके
सबकी मंजिल अलग अलग है

कल जहाँ मिले थे,
रुके थे दो पल,
मंजिल के सपने देखे थे,
साथ चले थे चार कदम;
छूट गया है मोड़ वो पीछे,
आगे आगे सब चलते हैं!

आँखें भीगीं, मन कहता है
सपने सच हों सब यारों के
सबको मंजिल हो हासिल
पर,
चार कदम जो साथ चले थे
उन लम्हों का प्यार ना छूटे!
दिल ना टूटें उन लोगों के,
दिल से दिल के तार ना टूटें!

किसे पता, कब चलते चलते रस्ते फिर से मिल जायेंगे!
कौनसी मंजिल की तलाश में, हम तुम फिर से टकरायेंगे!

तब क्या तुम मुझको पहचानोगे?
क्या मैं तुमको पहचानूँगा?

पहचान बने सबकी दुनिया में
पर आपस के पहचान ना छूटे!
दिल से दिल के तार ना टूटें!

 
 मोहित गंगवार... 
हम वोह नहीं जो आपसे नाता तोड़ देंगे .
हम वोह नहीं जो गम मैं साथ छोड़ देंगे.
हम तो वोह साथी है जो आपकी साँस रुके तो
अपनी साँस जोड़ देंगे.

अंदाजे दोस्ती भी आपकी अदा है,
जिसे आप चाहते है वोह आप पर
फ़िदा है, तस्वीर बसी है आप की इस दिल मैं
फिर कैसे कह दे की हम आपसे खफा है
तनहा रहना टोह सिख लिय ही हमने पर
खुश न कभी रह पाएंगे हम,
आपकी दुरी तो फिर भी सह लेते है पर
आपकी दोस्ती के बिना न जी पाएंगे हम

दोस्ती दुनिया की वो ख़ुशी है,
जिसकी ज़रूरत हर किसी को हुई है,
गुजार के देखो कभी अकेले ज़िन्दगी,
फिर खुद जान जाओगे के दोस्ती के बिना ज़िन्दगी भी अधूरी है.

किसी का दिल तोड़ना हमारी आदत नहीं
किसी का दिल दुखाना हमारी फितरत नहीं
भरोसा रखना हम पर तुम
दोस्त कह कर किसी को यूँ हम बदलते नहीं

हर ख़ुशी दिल के करीब नहीं होती,
ज़िन्दगी ग़मों से दूर नहीं होती,
ए दोस्त मेरी दोस्ती को सँभाल कर रख,
हमारी दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती...

तेरी दोस्ती हम इस तरह निभाएंगे तुम रोज़ खफा होना
हम रोज़ मनायेंगे पर मान जाना मनाने से
वरना यह भीगी पलकें ले के कहा जायेंगे..

इतना प्यार पाया है आप से...
 
 
 मोहित गंगवार... 

दिल

दिल मैं हम बस जाएँगे, तमन्ना हो अगर मिलने की, तो बंद आँखों मैं नज़र आएँगे. लम्हा लम्हा वक़्त गुज़ेर जाएँगा, चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा, आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे, कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा. पास आकर सभी दूर चले जाते हैं, हम अकेले थे अकेले ही रेह जाते हैं, दिल का दर्द किससे दिखाए, मरहम लगाने वेल ही ज़ख़्म दे जाते हैं, वक़्त तो हूमें भुला चुका है, मुक़द्दर भी ना भुला दे, दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते, क्यू के डरते हैं,कोई फिर से ना रुला दे, ज़िंदगी मैं हमेशा नये लोग मिलेंगे, कहीं ज़ियादा तो कहीं काम मिलेंगे, ऐतबार ज़रा सोच कर करना, मुमकिन नही हैर जगह तुम्हे हम मिलेंगे. ख़ुशबो की तरह आपके पास बिखर जाएँगे, सुकों बन कर दिल मे उतर जाएँगे, मेहसूस करने की कोशिश तो कीजिए, दूर होते हो भी पास नेज़र आएँगे ,,,,,,,



मोहित गंगवार... 

अगर हिंदू और मुसलमान भारत माता के 2 समान संतान है तो मुसलमान अपना हज करने अरब क्यो जाता है... क्या वो भारत को अपना काबा, मक्का मदीना मान कर यही दफ़न होना पसंद नही कर सकता,,,,,,, अगर मुसलमान ये कहता है की ये सारी कायनात अल्लाह की बनाई हुई है तो "सुअर" किस ने बनाई ????? क्या कोई दूसरा खुदा था जो सिर्फ़ सुअर बना कर ख़त्म हो गया....?? और अगर एक मुसलमान सुअर को छू भर लेने से नापाक हो जाता है तो इन का खुदा जो दिन भर मे हज़ारो सुअर बना कर धरती पर भेज रहा है वो आज तक नापाक क्यो नही हुआ ???? और अगर सुअर भी इन के खुदा की बनाई नियामत है तो ये दोगले उसे खुदा का प्रसाद समाज कर गाय की तरह क्यो नही खाते ?????????
 
मोहित गंगवार... 

Gangwar

Gangwar
From Wikipedia, .
Gangwar, (Hindi:गंगवार Urdu: غنغور ) is a Hindu Subcaste within the Kurmi caste.
Gangwars are mainly in the state of Uttar Pradesh in Northern India. In the districts of Rampur, Bareilly, Pillibhit & Farukhabad, they were mercenaries in the army of Shiva Ji and later settled around Ganga in Uttar Pradesh hence the surname seems of Maratha origin. They are mainly speakers of the Hindi language. Gangwars are well cultured, civilized people and followers of Sanatan Dharma. The Gangwars are primary involved in agriculture, and also the service industry, academics,technology and politics. Gangwars are originally from Kannauj and people of this clan are found in the Rohilkhand or ancient Panchala region of Indian state of Uttar Pradesh. Specially in the districts of Rampur, Bareilly, Pilibhit and Farukhabad.
Kshatriya clan: Gangwar (गंगवार)
Vansh Kurmi
Descended from: Kannauj (Gaharwar)
Language: Kannauji
[edit]Tracing History

In the medieval history this clan is found to be mercenaries in the army of Shivaji and other Maratha Kshatraps; from known historical facts it is found that they originally belonged to Gaharwar family ruling Kannauj before the invasion of Gori in last decade of 13th Century. After this turmoil Gaharwars settled themselves in Swargdwari in the Ganga basin and Marwar. Gaharwars ruled Swargdwari till King Kunwar Rai Singh, better known as Khor left this place and set up a new Gorakha Kingdom in Gorakhpur in Terai region in 1210 A.D. Khor was a disciple of Guru Gorakhnath and lost war against Samsuddin, subedar of Badaun under Qutubuddin Aibak. Gangwars returned back to region with the joint army Sindhias Holkars in 1751 defeating Afghans and Pathans. After this great victory over Rohilkhand Gangwars decided to settle in this region. Gangwars are often cited as some of the most prominent people in the ancient Indian history and they are Suryavanshi Kshatriyas, the great rulers of ancient India under the Emperor Chandragupta Maurya and Ashoka the Great.
[edit]References

Hukam Singh Bhati (1990), Maheca Rathaurom ka mula itihasa: Ravala Mallinatha ke vamsaja - Maheca, Baramera, Pokarana, Kotariya aura Khavariya Rathaurom ka sodhapurna itihasa. Publisher: Ratan Prakashan, Jodhpur.
Mahendra Singh Nagar (2004), The genealogical survey: Royal house of Marwar and other states. Publisher: Maharaja Man Singh Pustak Prakashan, Jodhpur.
Bruyne, J.L. DE. (Rudra Kavi). The Great Poem of the Dynasty of Rastraudha. Leiden, E.J. Brill, 1968.
[edit]External links

Coins of Panchala janapada
Panchal Details from IGNCA
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 मोहित गंगवार...

Wednesday, 16 November 2011

भारतीय इतिहास

1. मुहम्मद बिन कासिम ने भारत पर किस सन् में आक्रमण किया था?
- 711
2. महमूद गजनवी ने सन् 1000-1027 के मध्य भारत पर कितनी बार आक्रमण किया था?
- 17 ( महमूद गजनवी का पहला आक्रमण पंजाब में 1000 ई. में राजा जयपाल पर हुआ था।)
3. मुल्तान पर मोहम्मद गोरी का पहला आक्रमण किस सन में हुआ था?
- 1175
4. तराइन का प्रथम युद्ध किस सन् में हुआ था?
- 1191 (तराइन का प्रथम युद्ध मो. गोरी और पृथ्वीराज चौहान के मध्य हुआ था जिसमें पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई थी।)
5. कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी कहाँ बनाई थी?
- लाहौर (मोहम्मद गोरी ने अपने जीते हुए राज्य को अपने गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया इसीलिए कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम वंश का संस्थापक बना।)
6. रज़िया सुल्तान किसकी बेटी थी?
- इल्तुमिश
7. भारत की प्रथम महिला शासिका कौन थी?
- रजिया सुल्तान
8. खिलजी वंश का आरम्भ किस सन् में हुआ?
- 1290
9. किस बादशाह को सनकी बादशाह कहा जाता था?
- मोहम्मद बिन तुगलक
10. लोदी वंश की स्थापना किस सन् में हुई थी?
- 1451
11. वर्तमान में लोकप्रिय रूप से प्रचलित कैलेंडर का नाम क्या है?
- ग्रेगोरियन कैलेंडर
12. किस कैलेंडर को भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर होने का गौरव प्राप्त है?
- शक पंचांग
13. हिन्दू वर्ष का प्रथम माह कौन सा है?
- चैत्र
14. हिन्दू पंचांग के कितने अंग होते हैं?

- 5
15. शक पंचांग को भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में किस सन् में अंगीकृत किया गया?
- 1957
16. विक्रम संवत् का आरम्भ कब हुआ?
- ईसा पूर्व 57
17. शक संवत् का आरम्भ कब हुआ?
- ईसा पश्चात् 78
18. ग्रैगोरियन कैलेंडर की पहली तारीख का आधार क्या है?
- ईसा मसीह का जन्मदिन
19. विक्रम पंचांग की पहली तारीख का आधार क्या है?
- विक्रमादित्य का जन्मदिन
20. शक पंचांग की पहली तारीख का आधार क्या है?
- शालिवाहन का जन्मदिन.
 
 
 
मोहित गंगवार... 

सामान्य ज्ञान

यहाँ हम विज्ञान के अविष्कारों से सम्बन्धित प्रश्न प्रस्तुत कर रहे है |
1 .”रेडियोएक्टिव्हिटी” (एक्स रे) की खोज किस वैज्ञानिक ने किया था?
- मैडम क्यूरी (फ्रांस-1898)
2. “माइक्रोफोन” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- चार्ल्स व्हीटस्टोन (इंग्लैंड-1827)
3.”इलेक्ट्रिक ट्रांसफार्मर” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- विलियम स्टेनले (संयुक्त राज्य अमेरिका -1885)
4.”इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफी” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- आगस्तुस वाल्टर(ब्रिटेन-1892)
5.”कम्प्यूटर” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- चार्ल्स बैवेज (संयुक्त राज्य अमेरिका)
newton6.”गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त” किस वैज्ञानिक की देन है?
- सर आइजक न्यूटन ( इंग्लैंड -1665 )
7.”खगोलीय दूरदर्शक यंत्र” का आविष्कार किस ने किया था?
- गैलेलियो गैलिली(इटली -1609 )
8.”गति के नियम” किस वैज्ञानिक की देन है?
- सर आइजक न्यूटन (इंग्लैंड -1687)
9.”इलेट्रिक मोटर” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- माइकल फैराड( इंग्लैंड -1822)
10.”भाप के इंजिन ” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- जेम्स वाट
11.”बैरोमीटर” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
-टोरीसेली ( इटली – 1643)
12 .”बैट्री ” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- वोल्टा( इटली -1800)
13.” टेलीविजन  ” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- जॉन लोगी बियर्ड
Robert Goddard14 .” तरल ईंधन रोकेट ” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- रोबर्ट गोडार्ड
15.” जेट इंजिन ” का आविष्कार किस वैज्ञानिक ने किया था?
- फ्रेंक व्हिटल.


मोहित गंगवार.

Tuesday, 15 November 2011

20 Amazing Science Facts

1. The highest speed ever achieved on a bicycle is 166.94 mph by Fred Rompelberg.
2. We can produce laser light a million times brighter than sunshine.
3. 65% of those with autism are left handed.
4. The combined length of the roots of a Finnish pine tree is over 30 miles.
5. There are 62,000 miles of blood vessels in the human body. Laid end to end they would circle the earth 2.5
times.
6. At over 2000 kilometers long The Great Barrier Reef is the largest living structure on Earth.
7. The risk of being struck by a falling meteorite for a human is one occurrence every 9,300 years.
8. A thimbleful of a neutron star would weigh over 100 million tons.
9. A typical hurricane produces the energy equivalent to 8,000 one megaton bombs.
10. Blood sucking hookworms inhabit 700 million people worldwide.
11. The oceans contain enough salt to cover all the continents to a depth of nearly 500 feet.
12. The interstellar gas cloud Sagittarius B contains billion liters of alcohol.
13. Polar Bears can run at 25 miles an hour and jump over 6 feet in the air.
14. 60-65 million years ago dolphins and humans shared a common ancestor.
15. Polar Bears are nearly undetectable by infrared cameras, due to their transparent fur.
16. The average person accidentally eats 430 bugs each year of their life.
17. The evaporation from a large oak or beech tree is from ten to twenty-five gallons in twenty-four hours.
18. Butterflies taste with their hind feet and their taste sensation works on touch – this allows them to determine whether a leaf is edible.
19. A single rye plant can spread up to 400 miles of roots underground.
20. The temperature on the surface of Mercury exceeds 430 degrees C during the day, and, at night, plummets to minus 180 degrees centigrade.




मोहित गंगवार ...

Facts of Science (विज्ञान के तथ्य )

हम यहाँ पर कुछ विज्ञान के तथ्य लिख रहे हे शायद आपको पसंद आये……
1. प्राकृतिक मोती (Natural pearls) सिरका में घुल जाते हैं।
2. आपके पैरौं की लम्बाई उतनी ही होती है जितनी कि आपके कुहनी से नीचे हाथ की लम्बाई होती है।
3. औसतन औरतों के दिल मर्दों के दिल से तेज गति से धड़कते हैं।
4. स्त्रियों की चमड़ी का वजन लगभग 3 किलोग्राम होता है जबकि पुरुषों का लगभग 5 किलोग्राम।
5. बिल्लियाँ पराध्वनि (ultrasound) को सुन सकती हैं।
6. चीटियाँ कभी भी सोती नहीं हैं।
7. अपने सम्पूर्ण इतिहास में भारत ने कभी किसी अन्य देश पर आक्रमण नहीं किया।
8. एक रानी मधुमक्खी प्रतिदिन 1500 अण्डे देती है।
9. केवल हाथी ही 4 घुटनों वाला एक मात्र जानवर है।
10. जब बिल्लियाँ खुश होती हैं तो वे अपनी आँखें बंद कर लेती हैं।
11. विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 500,000 पता लगाए जा सकने वाले भूकंप आते हैं जिनमें से लगभग 100,000 का अनुभव किया जा सकता है और लगभग 100 विनाशकारी होते हैं।
12. शरीर में केवल जीभ ही एक ऐसी मांस पेशी जो केवल एक ओर से जुड़ी होती है।
13. किसी भी सामान्य आकार के कागज को 7 से अधिक बार दोहरा मोड़ा नहीं जा सकता।
14. मनुष्य अपने द्वारा देखे गए सपनों में से 90% को भूल जाता है।
15. सोचते समय हम अपने दिमाग के लगभग 35% भाग का ही प्रयोग करते हैं।
16. रंगीन टीवी आने के बाद से लोगों को आने वाले सपनों में श्वेत श्याम सपनों की संख्या कम हो गई है।
17. इंटरनेट में उपलब्ध चित्रों में से 80% चित्र निर्वस्त्र औरतों के हैं।



मोहित गंगवार... 





Know about Indian Parliament (भारतीय संसद )

- संसद के 3 प्रमुख अंग है -
1 . राष्ट्रपति
2 .लोकसभा
3 .राज्य सभा
- अनुच्छेद 79 के अनुसार संसद का प्रावधान किया गया है |
- संसद के 3 अंग होते है, तथा राष्ट्रपति को इसका प्रमुख अंग मन जाता है |
- भारत के संसद भवन के वास्तुकार एडविन लुटियंस थे जिसका केंद्रीय कक्ष सबसे बड़ा है, जिसमे राष्ट्रपति संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है और नई सरकार को शपथ दिलाता है |
- संसद के वर्ष में कम से कम दो अधिवेशन बुलाये जाने आवश्यक है |
- प्रथम अदिवेशन की अंतिम तिथि तथा दुसरे अधिवेशन की प्रथम तिथि के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए |
- संसद में शुक्रवार का दिन गैर सरकारी कार्यों के लिए निर्धारित किया गया है |
संसद में किसी मंत्री के द्वारा यदि कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है उसे सरकारी विधेयक कहते है |
- किसी संसद सदस्य के द्वारा प्रस्तुत विधेयक को गैर सरकारी विधेयक कहा जाता है |
संसद की कार्यवाही का प्रथम एक घंटा प्रश्न कल कह लाता है जिसका समय 11 -12 बजे तक निश्चित किया गया है |
- प्रश्न कल के दोरान 3 प्रकार के प्रश्न पूछे जाते है |

1 . तारांकित प्रश्न (मुख्य)
2 . अतारांकित प्रश्न (लिखित)
3 . समसामयिक गतिविधियों से सम्बंधित प्रश्न
- प्रश्न कल के तत्काल बाद का समय शून्य कल कहलाता है, जिसका समय 15 -30 मिनट निश्चित रहता है |
- संसद का कार्य करने के लिए निम्न समितियों का गठन किया जाता है -
1 . प्राक्कलन समिति : इसमें 30 सदस्य होते है जो केवल लोकसभा के सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर चुने जाते है |
2 . सार्वजनिक उपक्रम समिति : इनमे 15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से सदस्य एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर चुने जाते है | जिनका कार्य कल 1 वर्ष होता है |
3 . लोक लेखा समिति : इनमे भी लोकसभा के १५ व राज्य सभा के ७ सदस्य एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर चुने जाते है | जिनमे अध्यक्ष पद पर विरोधी दल के किसी नेता की नियुक्ति की जाती है |



मोहित गंगवार . 



क्या आप जानते हैं कि हमारा भारत कितना महान है ?

भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया और भारत ने अपने 10 हजार वर्षों के इतिहास में, सक्षम होते हुए भी कभी किसी अन्य देश पर आक्रमण नही किया। आइए, भारत के बारे में कुछ जानें:
भारतीय सँस्कृति व सभ्यता विश्व की पुरातन में से एक है।
भारत दुनिया का सबसे पुरातन व सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
भारत ने शून्य की खोज की। अंकगणित का आविष्कार 100 ईसा पूर्व भारत मे हुआ था।
हमारी संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी मानी जाती है। सभी यूरोपीय भाषाएँ संस्कृत पर आधारित मानी जाती है।
सँसार का प्रथम विश्वविद्यालय 700 ई. पू. तक्षशिला में स्थापित की गई थी। तत्पश्चात चौथी शताब्दी में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
5000 वर्ष पूर्व जब अन्य संस्कृतियां खानाबदोश व वनवासी जीवन जी रहे थे तब भारतीयों ने सिंधु घाटी की सभ्यता में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
महर्षि सुश्रुत सर्जरी के आविष्कारक माने जाते हैं। 2600 साल पहले उन्होंने अपने समय के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के साथ प्रसव, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पत्थरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी कई तरह की जटिल शल्य चिकित्सा के सिद्धांत प्रतिपादित किए।
ब्रिटिश राज से पहले तक भारत विश्व का सबसे समृद्ध राष्ट्र था व इसे, ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था।
आधुनिक भवन निर्माण पुरातन भारतीय वास्तु शास्त्र से प्रेरित है।
कुंग फू मूलत: एक बोधिधर्म नाम के बोद्ध भिक्षु के द्वारा विकसित किया गया था जो 500 ई के आसपास भारत से चीन गए।
वाराणसी अथवा बनारस दुनिया के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है। महात्मा बुद्ध ने 500 ई.पू. बनारस की यात्रा की थी। बनारस विश्व का एकमात्र ऐसा प्राचीन नगर है जो आज भी अस्तित्व में है।
सबसे प्राचीन उपचार प्रणाली आयुर्वेद है। आयुर्वेद की खोज 2500 साल पहले की गई थी।
बीजगणित की खोज भारत में हुई।
रेखा गणित की खोज भारत में हुई थी।
शतरंज अथवा अष्टपद की खोज भारत मे हुई थी।
हिन्दू, बौद्ध, जैन अथवा सिख धर्मों का उदय भारत में हुआ।
कम्प्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा भी संस्कृत ही मानी गई है।


मेरा भारत महान. 





मोहित  गंगवार.....

Friday, 28 October 2011

Hindu...........

हम सर्वथा लड़ाई के विरूद्ध हैं खासकर अपने ही देशवासियों के बीच में
लेकिन खुद को गांधीवादी कहने वालों ने इस देश को इतना लहुलूहान कर दिया है कि अब तो इस लड़ाई का समर्थन करने का मन करता है।
1947 में इन गांधीवादियों ने गांधी की पीठ के पीछे छुप कर भारत के तीन-तीन विभाजन करवाकर करोंड़ों हिन्दूओं को अत्याचारी इस्लमिक आतंकवादियों के हाथों बेआवरू होकर तड़प-तड़प कर मरने को छोड़ दिया।
आज जब किसी भी गद्दार को किसी भारतविरोधी षडयन्त्र को अनजाम देना होता है तो वो गांधीवाद की लंगोटी का नकाब ओड़ लेता है।
अभी हाल ही में आपने देखा कि किस तरह 50000 से अधिक देशभक्तों पर इन गांधीवादियों ने लाठियां ,गोलियां चलवाकर शहीद राजवाला जी के प्राणों की आहुती ले ली। इनका बस चलता तो ये गांधीवादी रामलीला मैदान को स्वामी रामदेव जी सहित हजारों देशभक्तों का शमशानघाट बना देते। इनकी गांधीवादी हिंसक मानसिकता का प्रमाण तब भी मिला जब गांधीवादियों ने स्वामीराम देव जी को पत्थर बांध पानी में तब तक डुवोए रखने की बात की जब तक उनके अन्दर प्राण शेष हैं मतलब स्वामी राम देव जी का कत्ल करने की मनसा रखते हैं ये गांधीवादी।
हमें समझ नहीं आ रहा कि ये कैसा गांधीवाद है जो हर वक्त भारतविरोधी आतंकवादियों के हाथों आम देशभक्त निर्दोष जनता का खून बहता देखकर खुश होता है और इन कातिल आतंकवादियों को हर तरह की सजा से बचाने के लिए आए दिन नए-नए बहाने बनाता है तिकड़म लड़ाता।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत को विभाजित करवाकर विभाजन की विषबेल को फिर से भारत में रखने की मांग उठाकर आज इस विषबेल के पूरे भारत में फैल जाने के बाद भारतीयों का खून बहता देखकर इठलाता है ।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत के तीन-तीन विभाजन करवाकर पाकिस्तान और बंगलादेश में हर चीज पर पहला अधिकार मुसलिम आतंकवादियों को देकर भारत में भी पहला अधिकार मुसलिम आतंकवादियों को ही देने की मांग उठाता ।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत को 1000 वर्ष तक गुलाम बनाकर उनका शोषण करने वाले मुसलमानों और ईसाईयों के बच्चों को पाठशाला में प्रवेश करते ही हजारों रूपए की सहायता की देता है और हिन्दूओं के बच्चों द्वारा 80% अंक लेने के बावजूद उन्हें इस तरह की किसी सहायता की गारंटी नहीं देता।
हैरानी तो इस बात की है कि जिन ईसाईयों का आज भी भारत के शिक्षा ढांचे पर अंग्रेजों के साम्राज्यवाद के काल से चला आ रहा कब्जा है उन ईसाईयों को शोषित हिन्दू बच्चों से आगे बड़ाने की वकालत ये भारतविरोधी गांधीवाद करता है।
जिन मुसलमानों ने भारत पर अपने अत्याचारी कब्जे के दौरान हिन्दूओं से जिन्दा रहने के बदले में जजिया कर लिया जो आज भी वन्देमातरम् का विरोध कर खुद को गैर भारतीय बताने पर जोर देते हैं उन मुसलमानों के बच्चों को ये गांधीवाद इन मुसलमानों के अत्याचारी कब्जे के द्वारा प्रताड़ित और शोषित हिन्दूओं के बच्चों का हक छीन कर देने की वकालत ये गांधीवाद करता है।

Sunday, 16 October 2011

Wife ....Wife.......Wife.........




5' 6" jiski height ho,
Jeans jiski tight ho,
Chehara jiska bright ho,
Umar 22 se 27 ho,
Aisi apni Wife ho.

Sadak per sab kahe kya cute ho,
Bhid me sab kahe side ho, side ho,
Bambai, Delhi ya Gujarat ki paidaish ho,
Sas ki seva jiski khwahish ho
Aisi apni Wife ho.

Padosi jab baat kare to haath me knife ho,
Dinner ke time candle light ho,
Ham me tum me kabhi na koi fight ho,
Milane ke baad dil delight ho,

Yeh kavita padhne ke baad log kahe "chikne, tum right ho",
Aisi apni Wife ho.

kaash yeh concept .0001 percent bhi right ho
agar aisi apni wife ho
to kya hasin life ho

har kisi ki yahi farmaish ho
kudrat ki bhi aajmaish ho
khudah ke software mein bhi bug ki gunjaish ho
ay kaash, kahin to ek aisi paidaish ho
aisi apni wife ho!


with heart my friends...........
Mohit Gangwar.....

क्या टूट पाएगा कोटला में 'सेंचुरी' का मिथक

 -
navbharattimes.indiatimes.com

नई दिल्ली।। कई रेकॉर्ड और उपलब्धियों का गवाह रहा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम यूं तो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए काफी भाग्यशाली रहा है। लेकिन, इंटरनैशनल मैचों में इससे कुछ ऐसे मिथक जुड़े हुए हैं, जो साल दर साल मैच होने के बावजूद टूटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा मिथक इस मैदान पर उन खिलाड़ियों का वनडे में असफल रहना है, जिनका यह घरेलू मैदान रहा है। दूसरा मिथक, भारतीय बैट्समैन यहां शतक लगाने के लिए तरसते रहे हैं और आलम यह है कि पिछले 15 साल से किसी भी भारतीय ने कोटला मैदान पर सैकड़ा नहीं जड़ा है।

मोहिंदर अमरनाथ, मदन लाल, मनोज प्रभाकर से लेकर वीरेंद्र, सहवाग, गौतम गंभीर और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों के लिए कोटला का मैदान वनडे मैचों में भाग्यशाली नहीं रहा है। भारत और इंग्लैंड के बीच शनिवार होने वाले दूसरे वनडे मैच में गंभीर और कोहली के पास यह मिथक तोड़ने का सुनहरा मौका होगा। गंभीर ने अब तक कोटला में 4 वनडे मैच खेले हैं, जिनमें 19.66 की औसत 59 रन बनाए हैं।

इस मैदान पर उनका हाई स्कोर 28 रन है। युवा बल्लेबाज कोहली भी अपने इस घरेलू मैदान पर 2 मैच खेल चुके हैं जिनमें उनके नाम पर 12 रन दर्ज हैं। सहवाग ने अपने बल्ले का डंका दुनिया के हर मैदान पर बजाया है, लेकिन कोटला कभी उनके लिए शुभ नहीं रहा। सहवाग भले ही चोटिल होने के कारण इस सीरीज में नहीं खेल रहे हैं, लेकिन वह अब तक इस मैदान 6 मैच खेल चुके हैं, जिनमें उन्होंने 24.00 की औसत से केवल 120 रन बनाए हैं। कोटला पर उनका सर्वाधिक स्कोर 42 रन है।

यह सिलसिला वैसे बहुत पहले से चला आ रहा है। इसमें रमन लांबा और मनिंदर सिंह जैसे एक 2 अपवाद जरूर रहे। लांबा ने कोटला पर 3 मैच में 192 रन बनाए जिनमें उनका हाई स्कोर 74 रन रहा। मनिंदर ने इस मैदान पर 3 मैच में 18.80 की औसत से 5 विकेट लिए हैं। इन दोनों के अलावा दिल्ली के जितने भी खिलाड़ी कोटला पर वनडे मैचों में खेले। उन्होंने अपने स्थानीय प्रशंसकों को निराश ही किया। भारत की 1983 की वर्ल्ड कप जीत के नायक मोहिंदर अमरनाथ कोटला पर 2 मैच में केवल 23 रन बना पाए हैं।

यदि शतक की बात करें तो कोटला पर 15 सितंबर 1982 को पहला वनडे मैच खेला गया था। भारत अब तक इस मैदान पर 15 मैच खेल चुका है, लेकिन इनमें भारत की तरफ से सिर्फ एक सैकड़ा लगा है। यह सेंचुरी (नॉटआउट 137 रन) भी सचिन तेंडुलकर ने मार्च 1996 में श्रीलंका के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में बनाया था।

भारत ने इसके बाद कोटला पर 9 मैच खेल लिए हैं, लेकिन तब से कोई भी इंडियन बैट्समैन यहां सेंचुरी नहीं लगा पाया। पिछले 15 साल में इस मैदान पर किसी भारतीय बैट्समैन का सर्वाधिक स्कोर 78 रन है, जो युवराज सिंह ने 2009 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था। इसी मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने नॉटआउट 71 रन बनाए थे। वैसे इस बीच विदेशी बैट्समैनों ने यहां जरूर सेंचुरी ठोके। ऑस्ट्रेलिया के रिकी पॉन्टिंग ने 1998 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 145 रन ( इस मैदान पर सर्वाधिक व्यक्तिगत पारी), इंग्लैंड के निक नाइट ने 2002 में भारत के खिलाफ 105 रन और ए.बी. डिविलियर्स ने इस साल वर्ल्ड कप में वेस्ट इंडीज के खिलाफ नॉउटआउट 107 रन बनाए थे। भारत ने वैसे कोटला पर अभी तक जो 15 मैच खेले हैं, उनमें से 9 में उसे जीत और 5 में हार मिली है, जबकि श्रीलंका के खिलाफ एक मैच पिच खराब होने के कारण रद्द हुआ था।