Saturday, 19 November 2011

क्या आप जानते हैं कि मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक "विषैले नाग" से की है ..??

इसमे कोई दो राय नहीं है और सब जानते हैं कि यह "इस्लामी जहरीला नाग" कितने देशों को डस चुका है , और भारत की तरफ भी अपना "फन फैलाकर फुफकार" रहा है ..लेकिन ये मनहूस सेक्युलर जीव लोग (पिग्विजय और प्रियांजली शर्मा सरीखे लोग ) इतने बेवकूफ हैं कि ये सेक्युलरता के नामपर, और झूठे भाईचारे के बहाने इस "इस्लामी नाग को दूध... पिला रहे हैं" .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है ... जबकि आज जरुरत इस बात की है कि, हम सब मिल कर उस "नाग के फन को कुचल दें" और मुहम्मद की इस ""भविष्यवाणी को सच्चा साबित कर दें"" ,जो उसने इन हदीसों में की थीं ::-

"अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है........ 'बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 .

"अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समय आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से नीचे नहीं उतरेगी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा "..........बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65

"अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों (मक्का और मदीना )के बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है "........................सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 .

"इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है "..................सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 .

अब मैं भी देखता हूँ कि मुसलमान और तथाकथित सेक्युलर इन हदीसों को झूठा कैसे साबित करते है ......?????

जय महाकाल.....!!
 
 मोहित गंगवार...