Wednesday, 29 April 2015

तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो उत्तराखंड की त्रासदी नेपाल की त्रासदी से ज़्यादा बड़ी थी ....विकराल थी .....अपने देश में घटी .......हमारे अपने लोग मरे थे ....... पूरे के पूरे नगर कसबे बह गए .......6000 से ज़्यादा लोग मरे थे ......
त्रासदी के एक हफ्ते बाद दिल्ली से 4 ट्रक राहत सामग्री से भरे सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा औपचारिक रूप से झंडी दिखा के विदा किये जाने के लिए दिल्ली में खड़े थे । राजमाता का समय नहीं मिल पा रहा था । उनका मिला तो युवराज का न मिला । तीसरे दिन दोनों मिले तो दोनों ने कांग्रेस का झंडा दिखा के विदा किया ।
दिल्ली से चले पर देहरादून नहीं पहुंचे ।
कहाँ गए भैया ?
दिल्ली में कांग्रेस के प्रवक्ता बोले हमको नहीं पता ......अच्छा रुको खोजवाते हैं ....
ढूंढ मची .......पता चला हरिद्वार से पहले रास्ते में कहीं खड़े हैं .......चारों ट्रक ......3 दिन से ......सड़क किनारे ?
क्या हुआ भैया ? काहे खड़े हो ?
जी बाबू जी .......डीज़ल खत्म हो गया ......
बात मीडिया में उछली ........ बड़ी किरकिरी हुई ......उत्तराखंड
में कांग्रेस की सरकार थी ....... किसी तरह डीज़ल की बेवस्था हुई तो राहत सामग्री देहरादून पहुंची । आपदा केदारनाथ में आयी थी । राहत सामग्री वहाँ तक पहुंचाने के लिए रास्ते न थे । Air Force के helicoptor rescue में लगे थे । देश भर से आ के राहत सामग्री आ के देहरादून में dump हो रही थी । पीड़ित ऊपर फंसे थे ......
नेपाल बिहार UP में भूकंप आया तो मोदी 10 मिनट बाद फोन पे थे ।
नेपाल के PM और president के साथ ।
नितीश बाबू और akhilesh के साथ ।
1 घंटे बाद गाज़ियाबाद के Hindon Airbase पे जहाज में राहत सामग्री load हो रही थी ।
4 घंटे बाद NDRF की 4 टीमों के साथ 20 टन दवाएं मोबाइल चिकित्सालय और डॉक्टरों को ले के जहाज उड़ गया । ठीक 6 घंटे बाद उन्होंने काठमांडू में बचाव कार्य शुरू कर दिया था ..........

ये मेसेज उन लोगों के लिए नहीं है जिनको मोदी की बुराई करने मे संतुष्टि मिलती है।
वो अपना कार्य जारी रखें क्योंकि संत कबीर ने कहा है कि
"निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाये,बिन साबुन पानी बिना निर्मल करत सुभाय...."
 
#prayForNepal