Tuesday, 22 November 2011

केवल सौ दिन को सिंहासन मेरे हाथों में दे दो,

काला धन वापस न आये तो मुझको फाँसी दे दो ||

जब कोयल की डोली गिद्धों के घर में आ जाती है,
...
तो बगला भगतो की टोली हंसों को खा जाती है ||

जब-जब जय चंदो का अभिनन्दन होने लगता है,

तब-तब सापों के बंधन में चन्दन रोने लगता है ||

जब फूलों को तितली भी हत्यारी लगने लगती है,

तो माँ की अर्थी बेटों को भारी लगने लगती है ||

जब जुगनू के घर सूरज के घोड़े सोने लगते है,

तो केवल चुल्लू भर पानी सागर होने लगते है ||

सिंहो को म्याऊँ कह दे क्या ये ताकत बिल्ली में है,

बिल्ली में क्या ताकत होती कायरता दिल्ली में है ||

कहते है कि सच बोलो तो प्राण गवाने पड़ते है,

मैं भी सच्चाई को गाकर शीश कटाने आया हूँ,

घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ ||

कोई साधू सन्यासी पर तलवारे लटकाता है,

काले धन की केवल चर्चा पर भी आँख चढ़ाता है ||

कोई हिमालय ताजमहल का सौदा करने लगता है,

कोई यमुना गंगा अपने घर में भरने लगता है ||

कोई तिरंगे झंडे को फाड़े फूके आज़ादी है,

कोई गाँधी को भी गाली देने का अपराधी है ||
 
 
मोहित गंगवार... 

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