Tuesday, 22 November 2011

जिस देश में बचपन भूखा है
जहाँ रोज जवानी बिकती है
जहाँ भीख बुढ़ापा मांगे है
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

जहाँ भाषा की तकरारें हैं
जहाँ मज़हब की दीवारें हैं
जहाँ खुले फिरें हत्यारे हैं,
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

मैं हिंदू हूँ, मैं मुस्लिम हूँ
मैं सिख औ' ईसाई हूँ
जहाँ इक भी बचा इनसान नहीं
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

मैं पंजाबी, मैं गुजराती
बंगाली और मराठी हूँ
जहाँ इक भी नहीं है भारती
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

जहाँ गुंडा राज चलाता है
दिन आये हमें डराता है
कर अधम-कर्म इतराता है
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

यहाँ जोड़-तोड़ के नेता हैं
दुनिया भर के अभिनेता हैं
कुछ क्रेता, कुछ विक्रेता हैं
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?

जहाँ राष्ट्रवाद का घाटा है
जहाँ नेता कद का नाटा है
हिंदी को मारे चाँटा है
यह कैसा हिंदोस्तान हो गया?
 
 
मोहित गंगवार... 

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