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नई दिल्ली।। कई रेकॉर्ड और उपलब्धियों का गवाह रहा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम यूं तो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए काफी भाग्यशाली रहा है। लेकिन, इंटरनैशनल मैचों में इससे कुछ ऐसे मिथक जुड़े हुए हैं, जो साल दर साल मैच होने के बावजूद टूटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा मिथक इस मैदान पर उन खिलाड़ियों का वनडे में असफल रहना है, जिनका यह घरेलू मैदान रहा है। दूसरा मिथक, भारतीय बैट्समैन यहां शतक लगाने के लिए तरसते रहे हैं और आलम यह है कि पिछले 15 साल से किसी भी भारतीय ने कोटला मैदान पर सैकड़ा नहीं जड़ा है।
मोहिंदर अमरनाथ, मदन लाल, मनोज प्रभाकर से लेकर वीरेंद्र, सहवाग, गौतम गंभीर और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों के लिए कोटला का मैदान वनडे मैचों में भाग्यशाली नहीं रहा है। भारत और इंग्लैंड के बीच शनिवार होने वाले दूसरे वनडे मैच में गंभीर और कोहली के पास यह मिथक तोड़ने का सुनहरा मौका होगा। गंभीर ने अब तक कोटला में 4 वनडे मैच खेले हैं, जिनमें 19.66 की औसत 59 रन बनाए हैं।
इस मैदान पर उनका हाई स्कोर 28 रन है। युवा बल्लेबाज कोहली भी अपने इस घरेलू मैदान पर 2 मैच खेल चुके हैं जिनमें उनके नाम पर 12 रन दर्ज हैं। सहवाग ने अपने बल्ले का डंका दुनिया के हर मैदान पर बजाया है, लेकिन कोटला कभी उनके लिए शुभ नहीं रहा। सहवाग भले ही चोटिल होने के कारण इस सीरीज में नहीं खेल रहे हैं, लेकिन वह अब तक इस मैदान 6 मैच खेल चुके हैं, जिनमें उन्होंने 24.00 की औसत से केवल 120 रन बनाए हैं। कोटला पर उनका सर्वाधिक स्कोर 42 रन है।
यह सिलसिला वैसे बहुत पहले से चला आ रहा है। इसमें रमन लांबा और मनिंदर सिंह जैसे एक 2 अपवाद जरूर रहे। लांबा ने कोटला पर 3 मैच में 192 रन बनाए जिनमें उनका हाई स्कोर 74 रन रहा। मनिंदर ने इस मैदान पर 3 मैच में 18.80 की औसत से 5 विकेट लिए हैं। इन दोनों के अलावा दिल्ली के जितने भी खिलाड़ी कोटला पर वनडे मैचों में खेले। उन्होंने अपने स्थानीय प्रशंसकों को निराश ही किया। भारत की 1983 की वर्ल्ड कप जीत के नायक मोहिंदर अमरनाथ कोटला पर 2 मैच में केवल 23 रन बना पाए हैं।
यदि शतक की बात करें तो कोटला पर 15 सितंबर 1982 को पहला वनडे मैच खेला गया था। भारत अब तक इस मैदान पर 15 मैच खेल चुका है, लेकिन इनमें भारत की तरफ से सिर्फ एक सैकड़ा लगा है। यह सेंचुरी (नॉटआउट 137 रन) भी सचिन तेंडुलकर ने मार्च 1996 में श्रीलंका के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में बनाया था।
भारत ने इसके बाद कोटला पर 9 मैच खेल लिए हैं, लेकिन तब से कोई भी इंडियन बैट्समैन यहां सेंचुरी नहीं लगा पाया। पिछले 15 साल में इस मैदान पर किसी भारतीय बैट्समैन का सर्वाधिक स्कोर 78 रन है, जो युवराज सिंह ने 2009 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था। इसी मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने नॉटआउट 71 रन बनाए थे। वैसे इस बीच विदेशी बैट्समैनों ने यहां जरूर सेंचुरी ठोके। ऑस्ट्रेलिया के रिकी पॉन्टिंग ने 1998 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 145 रन ( इस मैदान पर सर्वाधिक व्यक्तिगत पारी), इंग्लैंड के निक नाइट ने 2002 में भारत के खिलाफ 105 रन और ए.बी. डिविलियर्स ने इस साल वर्ल्ड कप में वेस्ट इंडीज के खिलाफ नॉउटआउट 107 रन बनाए थे। भारत ने वैसे कोटला पर अभी तक जो 15 मैच खेले हैं, उनमें से 9 में उसे जीत और 5 में हार मिली है, जबकि श्रीलंका के खिलाफ एक मैच पिच खराब होने के कारण रद्द हुआ था।
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