Thursday, 8 October 2015

माँ गंगा के भक्तों पर हुए अत्याचार

गंगा माता बिलख रही थी लाचारी के घाटों पर,
क्रूर लाठियां बरस रही थीं चन्दन लगे ललाटों पर,
खाकी,लगता थूक रही थी संतो के सम्मानों पर,
यूं लगता था मुहर लगी थी बाबर के फरमानों पर,
वर्दी वाले बर्बरता की सीमाओं को तोड़ गए,
केसरिया को नोच फाड़कर डला सड़क पर छोड़ गए,
सत्ता पट्टी बांध आँख पर बेसुध होकर सोई है,
काशी इनकी करतूतों पर फूट फूट कर रोई है,
अपनी परम्पराओं का आधार मांगने बैठे थे,
सन्त पुजारी पूजा का अधिकार मांगने बैठे थे,
ना भारत को गाली दी थी,फूंका नही तिरंगा था,
पत्थरबाजी नही हुयी थी किया न कोई दंगा था,
बलवे बाज नही थे,ना ही जेहादी नौटंकी थे,
ना दाऊद के गुर्गे थे,ना लश्कर के आतंकी थे,
धर्म सनातन की गाथा का मान मांगने बैठे थे,
वो तो गंगा माँ के प्यारे महादेव के बेटे थे,
हर हर महादेव का नारा क्यों उन्मादी लगता है?
सत्ता को हर भगवा धारी क्यों अपराधी लगता है?
सिर्फ सनातन कर्मों पर ही क्यों पाबन्दी होती है?
गणपति विसर्जनो से ही क्यों गंगा गन्दी होती है,
भजन शंख घंटे चुभते हैं बस सत्ता के कानो में,
पर्यावरण शुद्ध लगता है केवल बूचड़खानो में.
नही फड़कती कभी भुजाये,देशद्रोह के नारों पर,
वीर बहादुर मौन रहे,गौ माता के हत्यारों पर,
ये गौरव चौहान कहे ,कुछ बेडा पार नही होगा,
खून बहाकर संतो का बिलकुल उद्धार नही होगा,
घड़ा आपका भर जाएगा एक दिवस इन पापों से,
कोई नही बचा पायेगा संतों के अभिशापों से.


-मोहित गंगवार।।

Monday, 3 August 2015

जय हिन्दुस्तान

हिन्दु ही जब खतरे मे है,
हिन्दुस्तान की बात ना कर॥
 अखंड भारत का सपना सच कर,
पाकिस्तान की बात ना कर॥
 चल शुरु हो जा तलवार उठा,
अब और किसी का इन्तजार ना कर॥
 तू याद कर इन जेहादीयो की करतूत,
काश्मिर मे बली चढ गये जो पूत॥
 सरकटी लाश तेरे घर जाये ,
इसके पहले तू जग जाये॥
 हिन्दू ही वो हेमराज भी था,
जेहादीयो का यमराज भी था॥
 वो नही पूछते जात तेरी,
बस काफिर है पहचान तेरी॥
 जिस दिन हिन्दु मिट जायेगा,
मानवता भी मिट जायेगी॥
 मन्दिर सारे वो ढहा देगे,
गंगा मे तेरी लाश बहा देगे॥
 फिर कौन करेगा गोरक्षण,
भरपेट मलेच्छ करेँ भक्षण॥
 धर्म की जय फिर कहेगा कौन?
दहाड़ो शेरो अब छोड मौन॥
 चेतावनी-शेयर करो या मत करो,
हिन्दू हो तो हिन्दूओ की रक्षा करो ॥
 वन्दे मातरम्-जय श्रीराम
मित्रो , गर्व करता हूँ कि मैं एक कट्टर हिंदू हूँ ....मित्रो ....कभी कुछ बनो न बनो पर सेकुलर मत बनना .....मेरी नजर में देशद्रोह का दूसरा नाम सेकुलर है .....जय हिंदुत्व ....जय मां भारती🚩🚩🚩
जय हिन्दू राष्ट्र 🚩🚩🚩

Thursday, 4 June 2015


हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।


आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।


हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।


सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।


मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
🚩यह भारत देश हमारा है यह बात बतानी पड़ती है ..🚩
🚩यह हिंदुत्व का प्यारा है यह बात जतानी पड़ती है ..🚩
दुःख होता है जब गौ हत्या पर मौन यहाँ का हिन्दू है..
दिल रोता है जब गौ हत्या पे सरकार यहाँ की सोती है..
प्रतिबन्ध लगा दो गौ हत्या पे हृदय सभी का कहता है..
प्रतिबन्ध लगा दो गौ हत्या पे हृदय सभी का कहता है ...
कहने कहने से गौ हत्या पे प्रतिबंद लग नहीं पाया है ..
उठ हिन्दू वीर तुझे अब तेरी गौ माता ने बुलाया है..
उसके हत्यारों को तुझको अब समशान पोहचाना है ..
उस माँ के दूध का हर कतरा कतरा लौटना है..
बंद करो यह गौ हत्या बस यही हमारा नारा है..
दिख जाये गौ हत्यारो को की गौ पुत्रों ने उनको ललकारा है..
हुंकार भरो हिंदुओं सभी अब यही एकमात्र चारा है..
इस हिन्द भूमि पे हमने फिर से राम राज्ये लाना है..
हर घर में हो गौ माता अब वही युग दोहराना है..
जाग हिन्दू तुझको अब गौ रक्षा का फ़र्ज़ निभाना है..
कटती गौ माता पूछ रही क्या ये हिन्दुस्तान हमारा है ???
रोती और नम आँखों से उसने बस यही पुकारा है..
हो खून अगर तुम हिन्दू का गौ हत्यारों पर वार करो..
इन दुष्ठ पापियों का बस आज यही संघार करो...
गौ हत्यारों का वध कर गौ हत्या का बहिस्कार करो ..

गौ माता की यही पुकार बंद करो गौ अत्याचार..
गौ पुत्रों की यही पुकार उठ जाने दो अब हिन्दू तलवार...
गौ पुत्रों अब दो ललकार मच जाने दो हा हा कार ...
गौ रक्षक अब हो तैयार नहीं सहेंगे अब गौ माता पर वार..
गौ रक्षक की यही पुकार नहीं सहेंगे अब गौ पर वार ....
🙏 शिवेंद्र प्रताप सिंह ⛳🙏
वंदे गौ मातरम्
जय माँ भारती
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,

तब तक मुझे न विराम है,
चलना हमारा काम है।
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया कुछ बोझ अपना बँट गयl
क्या राह में परिचय कहूँ,
राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है।
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा,
 हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरुद्ध,
 इसका ध्यान आठो याम है,
चलना हमारा काम है।
इस विशद विश्व-प्रहार में किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह, किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
 रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए, सो गिर गए
रहे हर दम, उसी की
सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
फकत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
मूँदकर पलकें सहज
 दो घूँट हँसकर पी गया
सुधा-मिश्रित गरल,
वह साकिया का जाम है,
चलना हमारा काम है।
🙏🙏😊😊🙏🙏
निकल गयी तलवार म्यान से तो फिर विराम नही होगा |
 सारे जहाँ में हिन्दू तो होंगे पर इस्लाम नहीं होगा ।


हर बालक अंगद होगा हर बूढ़ा जामवंत होगा |
मुल्लों के छक्के छुड़ाने वाला हर युवा हनुमान होगा ।
 जो जय श्री राम नही कहेगा उसका नाम नही होगा |
 सारे जहाँ में हिन्दू तो होंगे पर इस्लाम नही होगा ।।




बढ़ा कारवां नही रुकेगा ईद नही बस होली होगी |
या तो गीता स्वीकारेंगे या खानी गोली होगी।

चारो दिशाओं में वेद गूजेंगे फिर अज़ान नही होगा |
मक्का मदीना वहीँ रहेगे पर इस्लाम नही होगा ।



हर हर महादेव गूँजेगा मक्का और मदीना से |
गीता गंगा नाम रखेंगी सलमा और सकीना से ।
 सिर्फ चलेगी रामजादो की कोई इमाम नहीं होगा |
अरब का रेगिस्तान तो होगा पर इस्लाम नही होगा ।।



 जय हिन्दू  !
जय हिंदुराष्ट्र. !
जय श्री राम!
💪💪🚩🚩💪💪
प्राचीन वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों
द्वारा किए आविष्कार व उनके द्वारा उजागर रहस्य –
💥महर्षि दधीचि -
महातपोबलि और शिव भक्त ऋषि थे। वे संसार के लिए कल्याण व त्याग की भावना रख वृत्तासुर का नाश करने के लिए अपनी अस्थियों का दान करने की वजह से महर्षि दधीचि बड़े पूजनीय हुए।

इस संबंध में पौराणिक कथा है कि एक बार देवराज इंद्र की सभा में देवगुरु बृहस्पति आए। अहंकार से चूर इंद्र गुरु बृहस्पति के सम्मान में उठकर खड़े नहीं हुए। बृहस्पति ने इसे अपना
अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए। देवताओं ने विश्वरूप को अपना गुरु बनाकर काम चलाना पड़ा, किंतु विश्वरूप देवताओं से छिपाकर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे देता था। इंद्र ने उस पर आवेशित
होकर उसका सिर काट दिया। विश्वरूप त्वष्टा ऋषि का पुत्र था।
उन्होंने क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए महाबली वृत्रासुर
को पैदा किया। वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़कर
देवताओं के साथ इधर-उधर भटकने लगे।
ब्रह्मदेव ने वृत्तासुर को मारने के लिए वज्र बनाने के लिए देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिये भेजा।
उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए तीनों लोकों की भलाई के लिए अपनी हड्डियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने संसार के कल्याण के लिए अपना शरीर दान कर दिया। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बना और वृत्रासुर मारा गया। इस तरह
एक महान ऋषि के अतुलनीय त्याग से देवराज इंद्र बचे और तीनों लोक सुखी हो गए।
💥आचार्य कणाद -
कणाद परमाणुशास्त्र के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले आचार्य कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।
💥भास्कराचार्य -
आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया।
भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।
💥आचार्य चरक -

‘चरकसंहिता’ जैसा महत्तवपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन
खोज की। आज के दौर की सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग जैसी बीमारियों के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर की।
💥भारद्वाज -
आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का
आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई
सदियों पहले ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान
को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह
ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता
है।
💥कण्व -
वैदिक कालीन ऋषियों में कण्व का नाम प्रमुख है। इनके आश्रम में ही राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था। माना जाता है कि उसके नाम पर देश का नाम भारत हुआ।
सोमयज्ञ परंपरा भी कण्व की देन मानी जाती है।
💥कपिल मुनि -
भगवान विष्णु का पांचवां अवतार माने जाते हैं। इनके पिता कर्दम ऋषि थे। इनकी माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र चाहा। इसलिए भगवान विष्णु खुद उनके गर्भ से पैदा हुए। कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक माने जाते हैं।
इससे जुड़ा प्रसंग है कि जब उनके पिता कर्दम संन्यासी बन जंगल में जाने लगे तो देवहूती ने खुद अकेले रह जाने की स्थिति पर दुःख जताया। इस पर ऋषि कर्दम देवहूती को इस बारे में
पुत्र से ज्ञान मिलने की बात कही।
वक्त आने पर कपिल मुनि ने जो
ज्ञान माता को दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाता है।
इसी तरह पावन गंगा के स्वर्ग से धरती पर उतरने के पीछे भी कपिल मुनि का शाप भी संसार के लिए कल्याणकारी बना।
 इससे जुड़ा प्रसंग है कि भगवान राम के पूर्वज राजा सगर ने द्वारा किए गए यज्ञ का घोड़ा इंद्र ने चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के करीब छोड़ दिया। तब घोड़े को खोजते हुआ वहां पहुंचे राजा सगर के साठ हजार पुत्रों ने
कपिल मुनि पर चोरी का आरोप लगाया।
इससे कुपित होकर मुनि ने
राजा सगर के सभी पुत्रों को शाप देकर भस्म कर दिया। बाद के कालों में राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर स्वर्ग से गंगा को जमीन पर उतारा और पूर्वजों को शापमुक किया।
💥पतंजलि -
आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को
रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी
उपचार संभव है।
💥शौनक :
वैदिक आचार्य और ऋषि शौनक ने गुरु-शिष्य परंपरा व संस्कारों को इतना फैलाया कि उन्हें दस हजार शिष्यों वाले गुरुकुल का कुलपति होने का गौरव मिला। शिष्यों की यह तादाद कई आधुनिक विश्वविद्यालयों तुलना में भी कहीं ज्यादा थी।
💥महर्षि सुश्रुत -
ये शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक
(सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे
तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।
जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है।
माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत
मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने
की शल्यचिकित्सा भी करते थे।
💥वशिष्ठ :
वशिष्ठ ऋषि राजा दशरथ के कुलगुरु थे। दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने इनसे ही शिक्षा पाई। देवप्राणी व मनचाहा वर देने वाली कामधेनु गाय वशिष्ठ ऋषि के पास ही थी।
💥विश्वामित्र :
ऋषि बनने से पहले
विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई।
 इसी कड़ी में माना जाता है
कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली
हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी।
ऋषि विश्वामित्र ही ब्रह्म गायत्री मंत्र के दृष्टा माने जाते हैं।
विश्वामित्र का अप्सरा मेनका पर मोहित होकर तपस्या भंग
होना भी प्रसिद्ध है। शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का
चमत्कार भी विश्वामित्र ने तपोबल से कर दिखाया।
💥महर्षि अगस्त्य -

वैदिक मान्यता के मुताबिक मित्र और वरुण देवताओं का दिव्य तेज यज्ञकलश में मिलने से उसी कलश के बीच से तेजस्वी महर्षि अगस्त्य प्रकट हुए। महर्षि अगस्त्य घोर तपस्वी ऋषि थे।
 उनके तपोबल से जुड़ी
पौराणिक कथा है कि एक बार जब समुद्री राक्षसों से प्रताड़ित
होकर देवता महर्षि अगस्त्य के पास सहायता के लिए पहुंचे तो महर्षि ने देवताओं के दुःख को दूर करने के लिए समुद्र का सारा जल पी लिया। इससे सारे राक्षसों का अंत हुआ।
💥गर्गमुनि -
गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की
दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बारे नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ।
कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि- नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे।
💥बौद्धlयन -
भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की
त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धlयन ने खोजी। दो समकोण
समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का
उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धlयन ने आसान बनाया।


मोहित गंगवार

Wednesday, 29 April 2015

तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो उत्तराखंड की त्रासदी नेपाल की त्रासदी से ज़्यादा बड़ी थी ....विकराल थी .....अपने देश में घटी .......हमारे अपने लोग मरे थे ....... पूरे के पूरे नगर कसबे बह गए .......6000 से ज़्यादा लोग मरे थे ......
त्रासदी के एक हफ्ते बाद दिल्ली से 4 ट्रक राहत सामग्री से भरे सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा औपचारिक रूप से झंडी दिखा के विदा किये जाने के लिए दिल्ली में खड़े थे । राजमाता का समय नहीं मिल पा रहा था । उनका मिला तो युवराज का न मिला । तीसरे दिन दोनों मिले तो दोनों ने कांग्रेस का झंडा दिखा के विदा किया ।
दिल्ली से चले पर देहरादून नहीं पहुंचे ।
कहाँ गए भैया ?
दिल्ली में कांग्रेस के प्रवक्ता बोले हमको नहीं पता ......अच्छा रुको खोजवाते हैं ....
ढूंढ मची .......पता चला हरिद्वार से पहले रास्ते में कहीं खड़े हैं .......चारों ट्रक ......3 दिन से ......सड़क किनारे ?
क्या हुआ भैया ? काहे खड़े हो ?
जी बाबू जी .......डीज़ल खत्म हो गया ......
बात मीडिया में उछली ........ बड़ी किरकिरी हुई ......उत्तराखंड
में कांग्रेस की सरकार थी ....... किसी तरह डीज़ल की बेवस्था हुई तो राहत सामग्री देहरादून पहुंची । आपदा केदारनाथ में आयी थी । राहत सामग्री वहाँ तक पहुंचाने के लिए रास्ते न थे । Air Force के helicoptor rescue में लगे थे । देश भर से आ के राहत सामग्री आ के देहरादून में dump हो रही थी । पीड़ित ऊपर फंसे थे ......
नेपाल बिहार UP में भूकंप आया तो मोदी 10 मिनट बाद फोन पे थे ।
नेपाल के PM और president के साथ ।
नितीश बाबू और akhilesh के साथ ।
1 घंटे बाद गाज़ियाबाद के Hindon Airbase पे जहाज में राहत सामग्री load हो रही थी ।
4 घंटे बाद NDRF की 4 टीमों के साथ 20 टन दवाएं मोबाइल चिकित्सालय और डॉक्टरों को ले के जहाज उड़ गया । ठीक 6 घंटे बाद उन्होंने काठमांडू में बचाव कार्य शुरू कर दिया था ..........

ये मेसेज उन लोगों के लिए नहीं है जिनको मोदी की बुराई करने मे संतुष्टि मिलती है।
वो अपना कार्य जारी रखें क्योंकि संत कबीर ने कहा है कि
"निंदक नियरे राखिये आँगन कुटी छवाये,बिन साबुन पानी बिना निर्मल करत सुभाय...."
 
#prayForNepal

Sunday, 5 April 2015

इंसानियत ................... आज भी जिन्दा है ....

दिल के दौरे से बेहोश पिता को लेकर पुत्र
अस्पताल पहुँचा..
डॉक्टर ने देखा और "ही इज नो मोर"
कहकर फीस के लिये हाथ आगे बढाया....
पुत्र को अचानक याद आया कि
जिस ऑटो मे वो अपने पिता को लेकर
आया है
उसका भी तो किराया देना है...
उसने पीछे मुडकर देखा तो
शायद इंसानियत जिंदा थी ..............
.
.
.
.
ऑटो वाला बिना पैसे लिये जा चुका था
|

Thursday, 26 February 2015

वीर सावरकर जी -- एक जीवन परिचय


वीर सावरकर -- एक परिचय

26 फरवरी
स्वातंत्र्य समर वीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्य-तिथि पर
उन्हें शत-शत नमन...
सभी राष्ट्रवादियों को वीर सावरकर के विषय में सब कुछ जानना चाहिए...
वीर सावरकर के प्रथम कीर्तिमान-
1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई है.?
2. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ...
3. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी...
4. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र 'इन्डियन ओपीनियन' में गाँधी ने निंदा की थी...
5. सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस प्रथम घटना के 16 वर्ष बाद गाँधी उनके मार्ग पर चले और 11 जुलाई 1921 को मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया...
6. सावरकर पहले भारतीय थे जिनको 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्म्युसन कॉलेज से निकाल दिया गया और दस रूपये जुरमाना किया... इसके विरोध में हड़ताल हुई... स्वयं तिलक जी ने 'केसरी' पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा...
7. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली... इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया...
8. वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को '1857 का स्वातंत्र्य समर' नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया...
9. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे '1857 का स्वातंत्र्य समर' पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था...
10. '1857 का स्वातंत्र्य समर' विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी... भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी... पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी...
11. वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे...
12. सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका मुकद्दमा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नही मिला और बंदी बनाकर भारत लाया गया...
13. वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी...
14. सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले- "चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया."
15. वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सजा के समय 10 साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला...
16. वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकर कोयले से कवितायें लिखी और 6000 पंक्तियाँ याद रखी...
17. वीर सावरकर पहले देशभक्त लेखक थे, जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध लगा रहा...
18. वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-
'आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृत
ः.'
अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है...
19. वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया... देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था...
20. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी थे जब उनका 26 फरवरी 1966 को उनका स्वर्गारोहण हुआ तब भारतीय संसद में कुछ सांसदों ने शोक प्रस्ताव रखा तो यह कहकर रोक दिया गया कि वे संसद सदस्य नही थे जबकि चर्चिल की मौत पर शोक मनाया गया था...
21.वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त स्वातंत्र्य वीर थे जिनके मरणोपरांत 26 फरवरी 2003 को उसी संसद में मूर्ति लगी जिसमे कभी उनके निधन पर शोक प्रस्ताव भी रोका गया था....
22. वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा लेकिन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया...
23. वीर सावरकर पहले ऐसे राष्ट्रभक्त हुए जिनके शिलालेख को अंडमान द्वीप की सेल्युलर जेल के कीर्ति स्तम्भ से UPA सरकार के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हटवा दिया था और उसकी जगह गांधी का शिलालेख लगवा दिया...
वीर सावरकर ने दस साल आजादी के लिए काला पानी में कोल्हू चलाया था जबकि गाँधी ने कालापानी की उस जेल में कभी दस मिनट चरखा नही चलाया....
24. महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी-देशभक्त, उच्च कोटि के साहित्य के रचनाकार, हिंदी-हिन्दू-हिन्दुस्थान के मंत्रदाता, हिंदुत्व के सूत्रधार वीर विनायक दामोदर सावरकर पहले ऐसे भव्य-दिव्य पुरुष, भारत माता के सच्चे सपूत थे, जिनसे अन्ग्रेजी सत्ता भयभीत थी, आजादी के बाद नेहरु की कांग्रेस सरकार भयभीत थी ...
25. वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका गया... पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे को चीरकर आज वीर सावरकर के राष्ट्रवादी विचारों का सूर्य उदय हो रहा है...

जय श्री राम...
 
 
------ मोहित गंगवार...

भगवत गीता ज्ञान ..

सुख का अर्थ केवल कुछ पा लेना नहीं अपितु जो है उसमे संतोष कर लेना भी है। जीवन में सुख तब नहीं आता जब हम ज्यादा पा लेते हैं बल्कि तब भी आता है जब ज्यादा पाने का भाव हमारे भीतर से चला जाता है।
सोने के महल में भी आदमी दुखी हो सकता है यदि पाने की इच्छा समाप्त नहीं हुई हो और झोपड़ी में भी आदमी परम सुखी हो सकता है यदि ज्यादा पाने की लालसा मिट गई हो तो। असंतोषी को तो कितना भी मिल जाये वह हमेशा अतृप्त ही रहेगा।
सुख बाहर की नहीं, भीतर की संपदा है। यह संपदा धन से नहीं धैर्य से प्राप्त होती है। हमारा सुख इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने धनवान है अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि है कि कितने धैर्यवान हैं। सुख और प्रसन्नता आपकी सोच पर निर्भर करती है।

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-मोहित गंगवार

Wednesday, 25 February 2015

हम तुझको तेरी औकात बता देगें !!!!

इधर उठी जो आँख तुम्हारी,
चमकेगी तलवार, हमारी ।
खून से इस धरती को हम नहला देंगे,
हम तुझको तेरी औकात दिखा देंगे।
अगर आस्था अपमानित होगी ,
तो फिर एक अयोध्या होगी।
राम के खातिर अपना शीस कटा देंगे,
हम तुझको तेरी औकात बता देंगे।
वैसे तो कोई बैर नहीं है,
लडे तो तेरी खैर नहीं है।
हर मीनार पर केसरीया लहरा देंगे,
हम तुमको तुम्हारी औकात बता देंगे।
लव जिहाद तू बंद कर दे शर्म
का जरा घूँट पी ले,
हम चंडी हैं चंड-मुंड संहारेगें
हम तुझको तेरी औकात बता देगें !!!!


-मोहित गंगवार ....

Wednesday, 4 February 2015

महिमा वेदों की

बड़ा प्रबल यह कालचक्र, ब्रह्मप्रदत्त ये वेद हैंI
महिमा घटी कलियुग शुरू, पारस्परिक मतभेद हैंII

त्रिविश्तप वह पुण्यभूमि, आदिमनु प्रकट हुए जहाँI
भूलोक था जल विसर्जित, थी धरा दृष्टिगोचर कहाँII

था अविभाज्य वह अँग तब, उस महान आर्यावर्त काI
सत्य, अहिंसा, निष्कपटता, था धर्म उस आर्यावर्त काII

माँस, मदिरा से मुक्त पूर्वज, सभ्य दयालु आर्य थेI
सारे जगत के महाद्वीपों पर, करते धर्म के कार्य थेII

खोयी ख्याति इस कलियुगे, सब कुरीतियाँ फैलीं यहाँI
चले पथभ्रष्ट वैदिक धर्म से, लगी पापों भरी थैली यहाँII

ईश को ईश्वर न माना, मनुष्य पूजन चल पड़ेI
आचार्य थे पूर्ण विश्व के, तुम पुनःशिष्य बन पड़ेII

या नियम है इस प्रकृति का, उच्चशिखर जाता है जोI
गिरता सतह वह निम्नतम, अहंकारी हो जाता है जोII

हो माया मोह स्वार्थसिद्धि की, भावना से ओतप्रोत अबI
मुक्त होंगे इन बन्धनों से, तुम बनोगे प्रेरणा-स्रोत कबII

माना गुरु था विश्व ने, तुमने ही पाखण्डित कियाI
बने अज्ञानी तुम स्वयं तो, अज्ञान उनको भी दियाII

आओ ज्ञान आलोक में, अपना लो वेदों को स्वतःI
हों दूर अन्धविश्वास 'गज', प्रेरणात्मक होंगे फलतःII —

_मोहित गंगवार 

Monday, 26 January 2015


फिल्म "बेबी" और भारतीय सिनेमा की जिम्मेदारियों के सन्दर्भ में मेरी ताज़ा रचना,



"pk बनाम BABY"


हमने जब pk देखी थी दिल में बहुत उदासी थी,
शिव जी के लज्जित द्रश्यों पर ख़ानों की अय्याशी थी,


किसे जरूरी था दिखलाना,किन्तु किसे दिखला बैठे,
और सिनेमा वाले जायज़ मुद्दे ही झुठला बैठे,
देश का संकट नही सिर्फ है मंदिर में पूजा करना,
या फिर श्रध्दा से लोटे में गंगा के जल को भरना,

लेकिन कुछ नायक नंगे होकर किरदारी भूल गए,
ज़िम्मेदार सिनेमा वाले ज़िम्मेदारी भूल गए,

"बेबी"फिल्म बनाने वालों ने अच्छा उपकार किया,
टूट चुकी आशाओं का कितना बेहतर उपचार किया,

अवसर दिया सभी को सब कुछ सच्चा सच्चा देख सके,
वही दिखाया जिसे देश का बच्चा बच्चा देख सके ,

सबसे बड़ी समस्या जो है,उसका हाल दिखाया है,
बिना मज़हबी ज्ञान दिए,भारत से प्रेम सिखाया है,

नहीं ज़रुरत पड़ी दुसरे गृह से लोग बुलाने की,
या फिर नायक को कोठे वाली के साथ सुलाने की,

सैनिक का जीना मरना उनके मकसद के किस्से थे,
सिर्फ वतन की बात बताते,रील के हिस्से हिस्से थे,

इसको ही हिम्मत कहते है,जो बेबी ने दिखलाया,
दहशत की असली जगहों का नाम पता भी बतलाया,

हिम्मत ही तो है जो जीता अरब देश की खाड़ी को,
एक द्रश्य में मुंडवा डाला मौलाना की दाढ़ी को,

दहशतगर्द मुसल्मा थे सब,बेबी ने हैं दिखलाए,
pk तो मस्जिद में दारु तक भी न ले जा पाए,

pk वालों कुछ तो सीखो आखिर बेबी वालो से,
इक पलड़े को नहीं झुकाते,केवल चंद सवालों से,

बेबी ने तो एक मुसल्मा देश भक्त दिखलाया है,
pk ने तो सारा झंझट मन्दिर में ही पाया है,

नीरज पांडे धन्य रहो तुम,ऐसे ही निर्माण करो,
राष्ट्र धर्म की सेवा में अर्पित ये तन मन प्राण करो,

ज़रा सुनो "आमिर",जीवन में सब कुछ ढोंग नही होता,
और वतन पर डायल हो वो नंबर रोंग नही होता ........................  


-मोहित गंगवार

Thursday, 8 January 2015

गंगा को प्रदूषित करते शहर


आबादी में छोटे एवं मंझोले शहरों की श्रेणी में आने वाले छह शहर ऐसे हैं, जिनके नालों का गंदा पानी परोक्ष रूप से गंगा में मिलकर उसे मैला करता है और उसे साफ करने के लिए सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) लगाए जाने की कोई भावी योजना भी नहीं है। इनमें बबराला, उझेनी एवं गुन्नौर (बदायूं), सोरों (एटा) और बिल्हौर (कानपुर) शामिल हैं। गंगा की निगरानी कर रही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इकाई ने इन्हें चिन्हित करते हुए इनमें एसटीपी के लिए कोई योजना न बनाए जाने पर चिंता जताई है। दरअसल, हाल में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के गठन के बाद गंगा नदी में पर्यावरण की दृष्टि से विकास की शर्त रखी गई है। बोर्ड अब तक गंगा में सीधे गिर रहे सीवेज पर ही नज़र रखता था। बोर्ड की मुख्य पर्यावरण अधिकारी डॉ। मधु भारद्वाज ने बताया कि छोटे एवं मंझोले शहरों के पुनरुत्थान के लिए बनी यूआईडीएसएसएमटी के तहत फर्रुखाबाद, मिर्ज़ापुर, मुगलसराय, गाज़ीपुर, सैदपुर, गढ़मुक्तेश्वर, बिजनौर, अनूपशहर एवं चुनार आदि में गंगा में सीधे गिर रहे सीवेज प्रबंधन के लिए योजनाएं बनकर स्वीकृत हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़, बबराला (बदायूं) के दो नालों का दो मिलियन लीटर गंदा पानी (एमएलडी) प्रतिदिन वरद्वमार नदी में सीधे गिरता है, जो आगे चलकर गंगा में मिलती है। उझेनी (बदायूं) का आठ एमएलडी गंदा पानी गंगा से तीस किमी दूर स्थित तालाब में गिरता है, जो आगे नालों में मिलता है। गुन्नौर (बदायूं) के दो नालों का तीन एमएलडी गंदा पानी एक तालाब में गिरता है, जो आगे चलकर वरद्वमार नदी से होता हुआ गंगा में मिलता है। सोरों (एटा) के तीन नालों का चार एमएलडी गंदा पानी गंगा में सीधे नहीं गिरता, पर आगे चलकर उसमें ही मिलता है। बिल्हौर (कानपुर) के नालों का तीन एमएलडी सीवेज ईशान नदी में सीधे गिरता है। यह भी आगे चलकर गंगा में ही मिलता है।

- मोहित गंगवार