कितनी बार कुछ धरम और संस्कृति आधारित सवालों पर
कूल ड्यूड और लो वेस्ट जींस पहन कर युवा अपना ऐसा बात
कहते हैं जैसे कोई पोप ,परम हंस या कोई इमाम हो ........
मुह से शराब की बॉस आ रही है लेकिन संस्कृति और धरम
को गरियाये जा रहे हैं ........
५ दिन से नहाये नहीं हैं लेकिन पूछते हैं मंदिर जाने से क्या फायदा ......
गर्लफ्रेंड को पिक्चर दिखा के आ रहे हैं कोई साधू
मिला तो कह दिया ......अरे तुम नहीं जानती हो जान ये
ढोंगी है .......
फिल्म के गानों को सुन रहे है, सुनते - सुनते सो गए,सुबह
पैखाने में भी लगा है ईयर फ़ोन ,फिर बस में भी ......और हनुमान चालीसा और वन्देमातरम् के लिए...अरे बचपन में याद था भूल
गयी ....... भाई एक बात बताओ ......५ साल की उम्र से पढ़ रहे
हो .....गणित,विज्ञान ,अंग्रेजी घिस रहे हो .......कोचिंग
में चूस रहे हो .......कालेज में पक रहे हो......फिर भी परीक्षाओं में
नप रहे हो ..........
तो जब आज तक वेद की एक ऋचा नहीं पता ,मानस की चौपाई
नहीं पता ,गीता का श्लोक नहीं पता , ....तो फिर भाई ......क्यों बोलते हो ऐसे की जैसे परमहंस हो .......
यार,आध्यात्म का उदय श्रद्धा और विश्वास से
होता है ...."भवानी शंकरौ बन्दे श्रद्धा विश्वास
रुपिणौ".....और ये ज्ञान से मिलेगा ..........जब शुरू
करोगे ....ज्यादा नहीं ५ मिनट सही ...शुरू तो करो .......
कृपया तार्किक बनें ...स्वागत है लेकिन अपने को सीमाओं में रखते हुए .........हो सकता है की अगले व्यक्ति ने ...जो आप के
सामने खड़ा हो .....साधारण सा .....अपना जीवन
दिया हो उसको समझने में .... साभार---"खून स्याही में उबलने दे
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