Friday, 28 October 2011

Hindu...........

हम सर्वथा लड़ाई के विरूद्ध हैं खासकर अपने ही देशवासियों के बीच में
लेकिन खुद को गांधीवादी कहने वालों ने इस देश को इतना लहुलूहान कर दिया है कि अब तो इस लड़ाई का समर्थन करने का मन करता है।
1947 में इन गांधीवादियों ने गांधी की पीठ के पीछे छुप कर भारत के तीन-तीन विभाजन करवाकर करोंड़ों हिन्दूओं को अत्याचारी इस्लमिक आतंकवादियों के हाथों बेआवरू होकर तड़प-तड़प कर मरने को छोड़ दिया।
आज जब किसी भी गद्दार को किसी भारतविरोधी षडयन्त्र को अनजाम देना होता है तो वो गांधीवाद की लंगोटी का नकाब ओड़ लेता है।
अभी हाल ही में आपने देखा कि किस तरह 50000 से अधिक देशभक्तों पर इन गांधीवादियों ने लाठियां ,गोलियां चलवाकर शहीद राजवाला जी के प्राणों की आहुती ले ली। इनका बस चलता तो ये गांधीवादी रामलीला मैदान को स्वामी रामदेव जी सहित हजारों देशभक्तों का शमशानघाट बना देते। इनकी गांधीवादी हिंसक मानसिकता का प्रमाण तब भी मिला जब गांधीवादियों ने स्वामीराम देव जी को पत्थर बांध पानी में तब तक डुवोए रखने की बात की जब तक उनके अन्दर प्राण शेष हैं मतलब स्वामी राम देव जी का कत्ल करने की मनसा रखते हैं ये गांधीवादी।
हमें समझ नहीं आ रहा कि ये कैसा गांधीवाद है जो हर वक्त भारतविरोधी आतंकवादियों के हाथों आम देशभक्त निर्दोष जनता का खून बहता देखकर खुश होता है और इन कातिल आतंकवादियों को हर तरह की सजा से बचाने के लिए आए दिन नए-नए बहाने बनाता है तिकड़म लड़ाता।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत को विभाजित करवाकर विभाजन की विषबेल को फिर से भारत में रखने की मांग उठाकर आज इस विषबेल के पूरे भारत में फैल जाने के बाद भारतीयों का खून बहता देखकर इठलाता है ।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत के तीन-तीन विभाजन करवाकर पाकिस्तान और बंगलादेश में हर चीज पर पहला अधिकार मुसलिम आतंकवादियों को देकर भारत में भी पहला अधिकार मुसलिम आतंकवादियों को ही देने की मांग उठाता ।
ये कौन सा गांधीवाद है जो भारत को 1000 वर्ष तक गुलाम बनाकर उनका शोषण करने वाले मुसलमानों और ईसाईयों के बच्चों को पाठशाला में प्रवेश करते ही हजारों रूपए की सहायता की देता है और हिन्दूओं के बच्चों द्वारा 80% अंक लेने के बावजूद उन्हें इस तरह की किसी सहायता की गारंटी नहीं देता।
हैरानी तो इस बात की है कि जिन ईसाईयों का आज भी भारत के शिक्षा ढांचे पर अंग्रेजों के साम्राज्यवाद के काल से चला आ रहा कब्जा है उन ईसाईयों को शोषित हिन्दू बच्चों से आगे बड़ाने की वकालत ये भारतविरोधी गांधीवाद करता है।
जिन मुसलमानों ने भारत पर अपने अत्याचारी कब्जे के दौरान हिन्दूओं से जिन्दा रहने के बदले में जजिया कर लिया जो आज भी वन्देमातरम् का विरोध कर खुद को गैर भारतीय बताने पर जोर देते हैं उन मुसलमानों के बच्चों को ये गांधीवाद इन मुसलमानों के अत्याचारी कब्जे के द्वारा प्रताड़ित और शोषित हिन्दूओं के बच्चों का हक छीन कर देने की वकालत ये गांधीवाद करता है।

Sunday, 16 October 2011

Wife ....Wife.......Wife.........




5' 6" jiski height ho,
Jeans jiski tight ho,
Chehara jiska bright ho,
Umar 22 se 27 ho,
Aisi apni Wife ho.

Sadak per sab kahe kya cute ho,
Bhid me sab kahe side ho, side ho,
Bambai, Delhi ya Gujarat ki paidaish ho,
Sas ki seva jiski khwahish ho
Aisi apni Wife ho.

Padosi jab baat kare to haath me knife ho,
Dinner ke time candle light ho,
Ham me tum me kabhi na koi fight ho,
Milane ke baad dil delight ho,

Yeh kavita padhne ke baad log kahe "chikne, tum right ho",
Aisi apni Wife ho.

kaash yeh concept .0001 percent bhi right ho
agar aisi apni wife ho
to kya hasin life ho

har kisi ki yahi farmaish ho
kudrat ki bhi aajmaish ho
khudah ke software mein bhi bug ki gunjaish ho
ay kaash, kahin to ek aisi paidaish ho
aisi apni wife ho!


with heart my friends...........
Mohit Gangwar.....

क्या टूट पाएगा कोटला में 'सेंचुरी' का मिथक

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navbharattimes.indiatimes.com

नई दिल्ली।। कई रेकॉर्ड और उपलब्धियों का गवाह रहा फिरोजशाह कोटला स्टेडियम यूं तो भारतीय क्रिकेट टीम के लिए काफी भाग्यशाली रहा है। लेकिन, इंटरनैशनल मैचों में इससे कुछ ऐसे मिथक जुड़े हुए हैं, जो साल दर साल मैच होने के बावजूद टूटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा मिथक इस मैदान पर उन खिलाड़ियों का वनडे में असफल रहना है, जिनका यह घरेलू मैदान रहा है। दूसरा मिथक, भारतीय बैट्समैन यहां शतक लगाने के लिए तरसते रहे हैं और आलम यह है कि पिछले 15 साल से किसी भी भारतीय ने कोटला मैदान पर सैकड़ा नहीं जड़ा है।

मोहिंदर अमरनाथ, मदन लाल, मनोज प्रभाकर से लेकर वीरेंद्र, सहवाग, गौतम गंभीर और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों के लिए कोटला का मैदान वनडे मैचों में भाग्यशाली नहीं रहा है। भारत और इंग्लैंड के बीच शनिवार होने वाले दूसरे वनडे मैच में गंभीर और कोहली के पास यह मिथक तोड़ने का सुनहरा मौका होगा। गंभीर ने अब तक कोटला में 4 वनडे मैच खेले हैं, जिनमें 19.66 की औसत 59 रन बनाए हैं।

इस मैदान पर उनका हाई स्कोर 28 रन है। युवा बल्लेबाज कोहली भी अपने इस घरेलू मैदान पर 2 मैच खेल चुके हैं जिनमें उनके नाम पर 12 रन दर्ज हैं। सहवाग ने अपने बल्ले का डंका दुनिया के हर मैदान पर बजाया है, लेकिन कोटला कभी उनके लिए शुभ नहीं रहा। सहवाग भले ही चोटिल होने के कारण इस सीरीज में नहीं खेल रहे हैं, लेकिन वह अब तक इस मैदान 6 मैच खेल चुके हैं, जिनमें उन्होंने 24.00 की औसत से केवल 120 रन बनाए हैं। कोटला पर उनका सर्वाधिक स्कोर 42 रन है।

यह सिलसिला वैसे बहुत पहले से चला आ रहा है। इसमें रमन लांबा और मनिंदर सिंह जैसे एक 2 अपवाद जरूर रहे। लांबा ने कोटला पर 3 मैच में 192 रन बनाए जिनमें उनका हाई स्कोर 74 रन रहा। मनिंदर ने इस मैदान पर 3 मैच में 18.80 की औसत से 5 विकेट लिए हैं। इन दोनों के अलावा दिल्ली के जितने भी खिलाड़ी कोटला पर वनडे मैचों में खेले। उन्होंने अपने स्थानीय प्रशंसकों को निराश ही किया। भारत की 1983 की वर्ल्ड कप जीत के नायक मोहिंदर अमरनाथ कोटला पर 2 मैच में केवल 23 रन बना पाए हैं।

यदि शतक की बात करें तो कोटला पर 15 सितंबर 1982 को पहला वनडे मैच खेला गया था। भारत अब तक इस मैदान पर 15 मैच खेल चुका है, लेकिन इनमें भारत की तरफ से सिर्फ एक सैकड़ा लगा है। यह सेंचुरी (नॉटआउट 137 रन) भी सचिन तेंडुलकर ने मार्च 1996 में श्रीलंका के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में बनाया था।

भारत ने इसके बाद कोटला पर 9 मैच खेल लिए हैं, लेकिन तब से कोई भी इंडियन बैट्समैन यहां सेंचुरी नहीं लगा पाया। पिछले 15 साल में इस मैदान पर किसी भारतीय बैट्समैन का सर्वाधिक स्कोर 78 रन है, जो युवराज सिंह ने 2009 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया था। इसी मैच में महेंद्र सिंह धोनी ने नॉटआउट 71 रन बनाए थे। वैसे इस बीच विदेशी बैट्समैनों ने यहां जरूर सेंचुरी ठोके। ऑस्ट्रेलिया के रिकी पॉन्टिंग ने 1998 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 145 रन ( इस मैदान पर सर्वाधिक व्यक्तिगत पारी), इंग्लैंड के निक नाइट ने 2002 में भारत के खिलाफ 105 रन और ए.बी. डिविलियर्स ने इस साल वर्ल्ड कप में वेस्ट इंडीज के खिलाफ नॉउटआउट 107 रन बनाए थे। भारत ने वैसे कोटला पर अभी तक जो 15 मैच खेले हैं, उनमें से 9 में उसे जीत और 5 में हार मिली है, जबकि श्रीलंका के खिलाफ एक मैच पिच खराब होने के कारण रद्द हुआ था।